कहते हैं ;
ज़िन्दगी के सारे
सफ़र ,
मौत पर ख़त्म
होते हैं !
तो ये ;
ज़िन्दगी का सफ़र
नहीं ,
मौत का सफ़र
हुआ न !!
क्यूँ की ;
हर सफ़र को
,
मंज़िल से जाना
जाता है
;और ,
ज़िन्दगी कि मंज़िल
तो मौत
है !!
हाँ ;
मौत के सफ़र
में ,
ज़िन्दगी के ,
कुछ मुक़ाम भी
आते हैं
;
जब ;
ज़िन्दगी जिंदादिली बन
जाती है
,
और ;
सफ़र की तन्हाइयां
,
कुछ पलों के
लिये ,ठिठक
जाती है
!!
वर्ना ;
इस सफ़र में
,
सभी तो "तन्हा
"हैं !!!
-"तन्हा"चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे " तन्हा " चारू !!
मौत के सफ़र में ,
ReplyDeleteज़िन्दगी के ,
कुछ मुक़ाम भी आते हैं ;
जब ;
ज़िन्दगी जिंदादिली बन जाती है ,
और ;
सफ़र की तन्हाइयां ,
कुछ पलों के लिये ,ठिठक जाती है !!
वर्ना ;
इस सफ़र में ,
सभी तो "तन्हा "हैं !!!
bahut khoobsurat!!
धन्यवाद मुकेश जी !
ReplyDelete