aap ki yaad ek anmol dharohar.... !!
आप की याद इक अनमोल धरोहर ...... !!!
देख़ सूरत - ए
- हाल वो
ग़मनाक हो
गया !
हुआ शर्मसा इतना
कि सुपुर्द-ए-ख़ाक
हो गया
!!
न सजाओं ज़िस्म-ए-फानी
को गूलों
लोबान से
!
रूह फ़ना होने
से "तन्हा"
क्या नापाक़
हो गया
!!
दोज़ख़ ओ ज़न्नत
की न
पूँछ हक़ीक़त
साहिब !
देख जिश्त -ए
-जहान
वो ख़ुदा बे-बाक हो
गया !!
मिले जब बढ़
कर गले
मोहत्सिब -ओ - रिन्द !
वाक़या रु- ब-
रु-
ऐ- ख़ुदा शर्मनाक हो गया
!!
पूछा इक सवाल
ख़ुदा से
हममे तुममे
फ़र्क क्या
!
बोला ऐ इंसान
! देख महज़
इत्तेफ़ाक हो
गया !!
तू " तन्हा " इन्सा
जमीं पे
मैं " तन्हा "ख़ुदा याँ !
तेरे जुल्मों सितम पे
याँ गिरेबाँ-चाक हो
गया !!
-
" तन्हा
" चारू !!
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
यादें हमेशा रहेंगी साथ!
ReplyDeleteनमन!
धन्यवाद अनुपमा जी ! आपका सस्नेह आभार !!
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