कई शब् से
ख्यालों में
वो आया
नहीं !
ऐ फ़ित्ना-गर
! क्या उसे
बुलाया नहीं
!!
क्या बात कि
आता न
मुझ तक
इल्ज़ाम !
ये और बात
कि बज़्म
में वो
आया नहीं !!
उभर आये न
नक्श-ए
-आब-ला
-पाँ मेरा
!
इस जज़्बात से
सफ़ीना पार
लगाया नहीं
!!
निशाने-मंज़िल होता
ये ज़िगर
आपना
!
हाय ! वो तीर
जो उसने
चलाया नहीं !!
अन्देशा -ए-जां
खुरेज़ी -ए-शौक से
ही !
उसने अक्सर मुझे
आज़माया नहीं
!!
क्या मज़ा है
सब्र-ओ-सुकून में
सोच !
तकलीफ़ से दामन
ये छुड़ाया
नहीं !!
हो न जाये
जहाँ को
कहीं गुमाने
-इश्क !
इस फिक्र से"तन्हा"ता-उम्र
मुस्कराया नहीं !!
-
" तन्हा
" चारू !!
-
09-02-1997
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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