फ़िज़ा-फ़िज़ा में
मस्त सबा
का ख़ुमार
है !
रंगीनिये -चमन तो
यहाँ बेशुमार
हैं !!
पाबन्दियाँ नाफ़िज़ अब
सय्याद पर
करो !
पहरे में तितलियाँ
मुझे नाग़वार
हैं
!!
रहमतें -ख़ुदा पे
भवरा नहीं
है आज
!
खुदी में अपना
वो परवरदिगार
है
!!
निशाने -मंज़िल का
पता पूछता
है क्या
!
ज़ुस्तज़ू पुर कैफ़
सबा पर
सवार है !!
कुर्बान हो न क्यूँ मेरा
दिल ऐ
वतन !
फ़िक्र-ए-चमन
मेरी आदते-शुमार है
!!
रखना चिराग अपने
आँचल के
तले !
रौशन जमाल-ऐ-यार में
गर्दे-ग़ुबार
है !!
अंदेशा-ए-हिज्र
से घबरा
न जाये
दिल !
राह -ए -वस्ल
में खड़ा
शह -सवार
है !!
नाचार हूँ ये
सोच के
कि अब
के बरस
!
आई ये कैसी
शब्-ए-हिज्र -ए-बहार है
!!
दुश्वारी-ए-तन्हा
का क्या-क्या है
सबब !
रंजे-ग़ुल, ख़लिशे-दिल, फ़स्ले-बहार है
!!
-
" तन्हा
" चारू !!
12-02-1997
सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज
कुमार खरे " तन्हा
" चारू !!
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