Tuesday 10 December 2013

ख्याल -ए -जिस्म के आते ही रूहें जिस्म बदलती हैं !!





हाँथ की लकीर का जादू है..........!!!

  
हाँथ की लकीर का जादू है कि लकीरे हाँथ से बनती हैं !
ना जाने क्यूँ इन लकीरों से लकीरे हाँथ की बदलती हैं !!

बदलना अपनी फ़ितरत ना आदत में हैं शुमार "तन्हा " !
बदल दे इन्सान गर तदबीरें तो तक़दीरे भी बदलती हैं !!

फ़ितरत -ऐ-शायर से परेशां ओ आज़िज़ हो चुका हूँ मैं !
ख्याल-ऐ-फ़ितरत बदलने से तो तंजीमें भी बदलती हैं !!

रूह से ज़िस्म का रिश्ता ज़िस्म के बस की बात नहीं !
ख्याल -ए -जिस्म के आते ही रूहें जिस्म बदलती हैं !!

                                   -" तन्हा " चारू !!
                                     11-12-2013

सर्वाधिकार सुरक्षित © अम्बुज कुमार खरे  " तन्हा " चारू !!

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